मंगलवार, 4 मई 2010

एक समाजवादी की आत्मकथा

हिटलर
जो लोग मार्क्स और माओ पर लिखी नई पुरानी किताबों के पुनर्प्रकाशन से दुखी या खुश हो रहे हों उनके लिए एक खबर है. राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी के सर्वेसर्वा और दुनिया के सबसे घृणित तानाशाही नेताओं में से एक अडोल्फ़ हिटलर की आत्मकथा "में कांफ" (या "माइन काम्फ" = मेरा संघर्ष) के नए संस्करण भी बिक्री की नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं. याद रहे कि दुनिया को द्वितीय विश्व युद्ध में झोंकने से पहले हिटलर ने अपने देश में दमन का निंदनीय कुचक्र चलाकर अपने सभी राजनैतिक विरोधियों के साथ-साथ कई अल्पसंख्यकों का लगभग सफाया ही कर दिया था.

द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर की निर्णायक पराजय के बाद बचे हुए यहूदियों को तो उनका देश इस्रायल वापस मिल गया मगर बेचारे भारतवंशी रोमा विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रों में बांटकर उसी दमन को आज भी ढो रहे हैं.

राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी (Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei या NSDAP) यानी नाजी पार्टी का मूल नाम राष्ट्रीय जर्मन कामगार पार्टी था मगर बाद में समाजवादी अजेंडा को सामने रखते हुए १९२० में इसके नाम में "समाजवादी" शब्द जोड़ा गया था.

हाँ, यहाँ हिटलर के समाजवाद को साम्यवाद या नेहरू वाला समाजवाद न समझा जाए. हिटलर को लोकतंत्र के साथ-साथ साम्यवाद से भी चिढ थी और नाज़िओं का समाजवाद साम्यवाद से सिर्फ इसी बात में समान था कि दोनों ही धाराएं प्रचार और दमन के लिए कुख्यात रही हैं. दोनों ही विचारधाराओं का इतिहास अपने से भिन्न विचारधाराओं के प्रति क्रूर असहिष्णुता का है और दोनों ही धाराओं के तानाशाह अपने परम राष्ट्रभक्त होने का दावा करते रहे हैं.

एक तरफ जर्मनी ने इस पुस्तक पर दशकों से लगा प्रतिबन्ध हटाने की घोषणा की है दूसरी ओर बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय युवाओं में हिटलर की लोकप्रियता बढ़ रही है.

20 टिप्‍पणियां:

  1. ये नई जानकारी है मेरे लिए.

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  2. हिट्लर अगर जीत जाता वह युध तो आज क्या लिखा जाता ........ हिट्लर की राह गलत हो सकती है लेकिन अपने देश व नस्ल के लिये उसकी सोच गलत नही . आज भारत को एक सभ्य हिटलर की जरुरत है ऐसा कई लोगो का मानना है और मेरा भी .

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  3. @dhiru singh {धीरू सिंह}
    हिट्लर अगर जीत जाता...
    धीरू भाई,
    यह "अगर" जितना ताकतवर दीखता है उतना होता नहीं है. अगर उसका रास्ता सही होता तो ज़रूर जीतता वरना जीतने के बाद भी बहुत दिन तक नहीं रह पाता. इतिहास ने बार बार यही बताया है, कि तानाशाही टिकाऊ जिन्स नहीं हैं - जो यह नहीं मानते वे बार बार हर दौर में पिटेंगे.

    यदि समय मिले तो इसी बात से सम्बंधित मेरी पिछली पोस्ट अहिसा परमो धर्मः ज़रूर पढ़ें

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  4. आपकी पिछली पोस्ट से सहमत. लेकिन आज भारत को एक नहीं हजारों हिटलरों की आवश्यकता है. काले अंग्रेजों ने जो दशा कर दी है भारत की उस के लिये. इन काले अंग्रेजों को हिटलर जैसा व्यक्ति ही सुधार सकता है...

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  5. जीतने वाले के साथ हारने वाले की भी दास्तान लिखी जाती है।

    बहुत अच्छी जानकारी
    आभार

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  6. जानकारी सचमुच में नई ही है।

    तानाशाहों को या तो आत्‍महत्‍या करनी पडती है या फिर चौराहों पर फँासी पर टँगना पडता है। लोकतान्त्रिक व्‍यवस्‍थाओं में तानाशाहों को लोग कचरे के ढेर पर फेंक देते हैं। भारत में ही इसके प्रमाण उपलब्‍ध हैं।

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  7. अगर हिटलर ना होता तो आज जर्मन दुनिया क सब से अमीर देश ना होता, यह भी पोलेंड ओर चेको की तरह से गरीब देश होता..... काश मेरे भारत को एक बार एक हिटलर मिल जाये.... फ़िर देखो किस के गले मै नोटॊ की माला डलती है ओर कोन जानवरो के चारे को चर जाये.... हिटलर ने जिन्हे बेदर्दी से तडपा तडपा कर मारा वो सब हमारे आज के नेतओ जेसे थे या फ़िर भर्ष्ट आधिकारी जो सिर्फ़ देश को बेच बेच कर खा रहे थे, गरीब ओर गरीब हो रहा था, अमीर ओर अमीर

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  8. achchi jankari...
    tanashahi-nahin chalegi...nahin chalegi...

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  9. वेल... हिटलर की लोकप्रियता तो ब्लॉगजगत में भी दिख रही है ! और जब भारत से बाहर कई देशों में ये पुस्तक बैन थी (है) तो लोग भारत से ये पुस्तक खरीद कर ले जाते रहे हैं. एक दैत्य
    का महिमामंडन कर उसे सही नहीं ठहराया जा सकता.

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  10. कई बुक स्टालों में देखी है यह पुस्तक ।

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  11. Aksar Bharteey waise bhi jahan apni ardhangini ka sawal aata hai,Hitlar hi hote hain! Ab yah hitlarshahi aur badh gayi to kya hoga soch dar lagta hai!:)
    Khair jaankaaree badi achhee mili..kayi baten nahi pata thin...

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  12. टिप्पणियों ने एक नास्तिक से भी कहलवा दिया - हे भगवान !

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  13. रावण का शिव ताण्डव स्तोत्र भी बहुत प्रसिद्ध है!

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  14. sabhi se anurodh hai ki yah mera cmment awasya padhe aur apna rai awasya de sahi me aaj india ko ek hitlar ki jarurat hai kyoki jarmani me jarman par yahudi atyachar karte the to hitlar ka janma hua aur india me muslim. agar jalda se jald hitlar jaisa sasak nahi aaya to ye desh aur kai tukro me bat ta chala jayega ise rokne ke liye, angrejo ka diya hua kanun badalne ke liye,aur muslim ko desh se nikalne ke liye aisa sasak jaruri hai nahi to yah deh iraq,iran,barma,bhutan,afg,pak,bang....etc jaise aur desh banenge aur hinduon ka khatma ho jayega jise roka nahi ja sakega so hitlar ka janma awasyak hai.

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  15. नवीन जी,
    इतिहास पढेंगे तो पता लगेगा की हिटलर की हरकतों के कारण ही न केवल जर्मनी का विभाजन हो गया था बल्कि उस दानव ने भारतीय मूल के लाखों निर्दोष रोमाओं और यहूदिओं को मौत के घात उतारा था| उस चोट्टे ने तो हमारा स्वस्तिका चुराकर उसके नाम पर भी बट्टा लगा दिया. अगर हिटलर जैसे दानवी तानाशाह ढूँढने हैं तो दूर जाने की ज़रुरत नहीं है - तालेबान और माओवाद के नाम पर आपके हर तरफ बिखरे पड़े हैं वे.

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