बुधवार, 23 मई 2012

भाग्य विधाता - मि. डेस्टिनी (1990)

इस ब्लॉग अवलोकन पर आप कुछ हिन्दी (कश्मकश, यह साली ज़िन्दगी), तमिळ (मौन रागम) और बंगला (अनुरनन) फ़िल्मों की समीक्षा और झलकियाँ पहले ही देख चुके हैं। आज प्रस्तुत है 1990 में बनी हॉलीवुड फ़िल्म मिस्टर डेस्टिनी। संसार में भाँति-भाँति के लोग हैं। कोई सुखी है, कोई दुःखी है और कोई निस्पृह। इस कथा का नायक लैरी बरोज़ (जेम्स बलूशी) एक दुःखी प्राणी है। एक समर्पित पत्नी ऐलेन (लिंडा हैमिल्टन), ठीक-ठाक नौकरी और मित्र क्लिफ़ मैट्ज़लर (जॉन लविट्ज़) के होते हुए भी वह अपनी अधूरी तमन्नाओं को लेकर असंतुष्ट है। उसे बार-बार ऐसा लगता है कि किशोरावस्था में खेले गये बेसबाल मैच में उसके द्वारा मिस हुआ शॉट ही उसकी दयनीय स्थिति का मूल कारण है। यदि जीवन में वह एक घटना बदल जाती तो लैरी कोई अलग ही व्यक्ति होता। वह अक्सर सफल जीवन, बड़ा घर, महंगी कारों, बेहतर व्यवसाय और रूपसी पत्नी की कामना करता है।
जीवन जैसा है वैसा होना अकारण नहीं है 
अपने पेंतीसवें जन्मदिन पर भी वह सभी लोगों द्वारा बिसार दिये जाने से आहत है। ठेकेदार उसका ड्राइववे बिना बनाये अधूरा छोड़ गया है। उसके दफ़्तर पहुँचने तक कॉफ़ी मशीन खाली हो चुकी है। उसका बेईमान बॉस अपनी बेईमानी के कुछ राज़ फ़ाश हो चुकने की आशंका लिये उसके पीछे पड़ जाता है। लैरी बरोज़ जब अपनी जान बचाने के लिये गाड़ी दौड़ा रहा होता है तो उसकी खटारा कार एक वीरान से इलाके में एक मदिरालय के बाहर खराब हो जाती है। पीछा करने वालों से बचने के लिये अन्दर जाने पर उसकी मुलाक़ात एक रहस्यमय साक़ी माइक (माइकल केन) से होती है जोकि उसकी पसन्द की शराब का पैग पिलाते हुए उसकी पूरी कहानी ध्यान से सुनता है। जब लैरी अपने दुर्भाग्य का दोष बेसबाल के उस एक खेल में मिस हुए शॉट को देता है तो साक़ी उसके जीवन की उस दुर्घटना को एक उपलब्धि में बदल देता है। शॉट मिस होने के बजाय हिट हो जाता है।


मि. डेस्टिनी की आधिकारिक झलकी (ट्रेलर)

लैरी के अतीत में माइक के इस हस्तक्षेप के बाद लैरी का नया जीवन सफल हो जाता है। माइक उसका रक्षक फ़रिश्ता और कैब-चालक बनकर उसे घर छोड़ने जाता है। लैरी यह देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है कि अब वह (लैरी) एक महल में रहता है और अब उसकी पत्नी उसकी कम्पनी के स्वामी बिल की रूपसी विवाहिता बेटी सिंडी जो (रैनी रूसो) है। दरअसल अब लैरी ही इस कम्पनी का अध्यक्ष और उत्तराधिकारी बन चुका है। जबकि शॉट मिस होने की स्थिति में यह स्थान कम्पनी स्वामी के दामाद जे सैंडर्स का था जो कि एक साफ़ दिल वाला खिलाड़ी है। लैरी के असफल जीवन की पत्नी और श्रमिक नेता ऐलेन और मित्र जॉन अभी भी उसी कम्पनी में उन्हीं साधारण पदों पर कार्य करते हैं। उनके अपने निजी जीवन हैं और उन्हें इस बात का बिल्कुल अहसास नहीं है कि धनी लैरी से उनका कोई सम्बन्ध हो सकता है।
क्या आप अपनी कामनाओं के बदले अपनी जीवन भर की कमाई खो देंगे? 
लैरी के इस नये जीवन में वह सब कुछ है जिसकी उसे लालसा थी लेकिन अब वह सफल, धनी और विजेता होने के साथ-साथ दो जीवनों का अनुभवी भी है। इसी दोहरी विस्तृत दृष्टि के कारण धीरे-धीरे वह अपने पहले जीवन के रूप में मिले बहुमूल्य उपहार, पत्नी, मित्र, माता-पिता का मूल्य समझता है। ज्यूल जैगर उससे शत्रुता मान बैठती है। ऐलन उसकी सहानुभूति को ग़लत समझती है। उसका स्कूली मित्र अब हीन भावना से ग्रसित होकर उससे दूर-दूर रहता है। उसके माता पिता एक दूसरे से अलग होने वाले हैं। पिता अपने से आधी उम्र की सुन्दरी से विवाह का इच्छुक है। लैरी को समझ आता है कि जिसे वह अपनी असफलता मानता था, उस जीवन में बहुत कुछ ऐसा था जिस पर गर्व किया जा सकता था। इस बीच कम्पनी का दुष्ट खलनायक और लैरी के असफल जीवन का बॉस हार्ट बॉचनर एक बड़ा हाथ मारकर लैरी को षडयंत्र में फ़ँसाने के चक्कर में है। अब लैरी को एक बड़ा निर्णय लेना है ...

जेम्स ऑर द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म 1946 की श्वेत-श्याम फ़िल्म इट्स ए वंडरफ़ुल लाइफ़ की याद अवश्य दिलाती है। थीम की समानता बस इस याद के साथ ही चुक जाती है। पूर्वजन्म के ज्ञान का सदुपयोग इस जन्म में करके जिस प्रकार लैरी अपनी कम्पनी और उससे जुड़े सभी लोगों का जीवन बचाता है उससे ईशोपनिषद का निम्न मंत्र याद आता है:
सम्भूतिं च विनाशं च यस्तद्वेदोभयँ सह।
विनाशेन मृत्युं तीर्त्वा सम्भूत्याऽमृतमश्नुते॥
अपना काम पूरा करके लैरी भागता हुआ किसी अनजान इमारत में घुसता है और नये जीवन का चक्र पूरा होता है। वह पुराना लैरी बनकर उसी बार में उसी साक़ी के सामने खड़ा है, बस पहले से अधिक बुद्धिमान और अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट। लैरी के जीवन के सबसे संतोषजनक जन्मदिन का उपहार अभी बकाया है।


भाग्य का बदलना - मि. डेस्टिनी से एक दृश्य

18 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार कथानक और समीक्षा!!
    अप्राप्त की तृषणा शायद मानवीय कमजोरी ही है।

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  2. thanks - i haven't seen the movie - but your review made it come alive. we do keep running after fantasies and neglect the real blessings we have been granted. it is only when the real things get endangered that we realize their value. sometimes (god forbid) it may be too late to change :(

    there was a hindi film - jeetendr ji in a dbl role, maushami chatterjee ji and reena roy ji ... this is not similar - but it reminded me of that movie ...

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  3. फिल्म समीक्षा पढने में मजा आया , फिल्म देखने में भी मजा आएगा .. बहुत बहुत आभार !

    इस ब्लॉग पर नयी फिल्म समीक्षा का बहुत समय से इन्तजार था.. आज पूरा हुआ|

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  4. देखी है, बढ़िया है यह फिल्म।

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  5. प्रिय अनुराग जी बहुत सुन्दर समीक्षा और अवलोकन ..पढ़कर बहुत कुछ सीखने को मिला और उपयोगी .....जय श्री राधे - भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण में आप के आशीष हेतु आभार

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  6. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "कबीर" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।

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  7. काफी दिनों से कोई फिल्म नहीं देखी, आपने अच्छा बताया इसे जरूर देखूंगा

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  8. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।

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  9. हम सब 'लैरी बरोज़' हैं, जो है उससे बेखबर और जो नहीं है उसके लिए दुखी|

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  10. इस फिल्म को तो नहीं देखी हूँ, पर कहानी और समीक्षा अच्छी लगी, बधाई.

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  11. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (२८ अप्रैल, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - इंडियन होम रूल मूवमेंट पर स्थान दिया है | हार्दिक बधाई |

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  12. बहुत खूब लिखा है आपने
    मैंने हाल ही में ब्लॉगर ज्वाइन किया है आपसे निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में आए उन्हें पढ़े aour मुझे सही दिशा निर्देश दे
    https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
    धन्यवाद

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  13. बढ़िया लेख!हमारे साथ शेयर करने के लिए धन्यवाद।

    Digi Patrika

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